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लोमड़ी की कहानी

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                                     लोमड़ी और सारस  एक दिन एक सीअाल को एक सारस से झील के पास मुलाकात हुआ ।दोनों बात करते करते दोस्त बन गए। सियाल ने सारस को अपने घर मे खाना खाने के लिए बुलाया । सारस को बहुत अच्छा लगा।वह अच्छी तरह से नहाया केश विन्यास किया अच्छे कपड़े पहन कर सियाल की घर की ओर चल पड़े।सियाल उसका अपेक्षा कर रहा था।सारस को देख कर बोले आप आ गए में तो आपका अपेक्षा कर रहा था।आइए अंदर बैठिए ।लेकिन बैठने के लिए कुछ नहीं दिया ।सारस खड़ा था।सियाल दो थाली में सूप लेकर आए और बोले आइए खाना शुरु करे। ऐसा बोलते हुए वह एक थाली से चपत चपत कर सूप पीने लगा।ओर सारस खड़ा हुआ देखता रहा।सियाल ने अपने थाली का सूप पीने के बाद सारस का थाली का सूप भी पी लिया।सारस ने सूप नहीं पी पाया उसका बजह ये है की सारस का चोच लंबा होता है तो गहरे सूप में वह अपने होठ से पी सकता है लेकिन थाली में सूप गहरा नहीं थी इसलिए उसने सूप नहीं पी पाया। सियाल ने दो थाली की सूप पी लिया और बोले ओहो आपको सूप अच्छा नहीं लगा इसलिए आप नहीं पिया।कोई बात नही में फिर सूप बनाऊंगा तो आपको फिर बुलाऊंगा।सारस ने कुछ नहीं  बोला